चुनावी बयार में बिहार पर सौगातों की बरसात
भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि वह किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेती है और छोटे बड़े हर एक चुनाव को पूरी ताकत से लड़ती है। इसी तारतम्य में बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनावों के पूर्व पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री के बिहार चुनाव प्रचार का पांचवा दौरा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ माने-जाने वाले पूर्वी चम्पारण जिले के मोतिहारी शहर में हुआ ,जहां प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी मौसम में सौगातों की बरसात कर दी है।
प्रधानमंत्री ने अपने बिहार दौरे पर मोतिहारी में 7196 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया। जिनमें 5988 करोड़ की रेलवे और 1173 करोड़ की सड़क परियोजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं में रेल, सड़क, ग्रामीण विकास, मत्स्य पालन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों से जुड़ी विकास परियोजनाएं है। सम्पर्क और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने अनेक रेल परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की। इसमें समस्तीपुर-बछवाड़ा रेल लाइन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग शामिल है, जिससे इस खंड पर कुशल रेल संचालन संभव होगा। दरभंगा-थलवाड़ा और समस्तीपुर-रामभद्रपुर रेल लाइनों का दोहरीकरण, 580 करोड़ रुपये से अधिक की दरभंगा-समस्तीपुर दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा है और इससे रेल संचालन की क्षमता बढ़ेगी और देरी में कमी आएगी। प्रधानमंत्री ने यहां अनेक रेल परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। रेल परियोजनाओं में पाटलिपुत्र में वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव हेतु बुनियादी ढाँचे का विकास शामिल है। भटनी-छपरा ग्रामीण रेल लाइन (114 किमी) पर स्वचालित सिग्नलिंग से सुव्यवस्थित रेल संचालन संभव होगा। कर्षण प्रणाली के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाकर और ऊर्जा दक्षता में सुधार करके भटनी-छपरा ग्रामीण खंड में ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए कर्षण प्रणाली का आधुनिकीकरण किया जाएगा। लगभग 4,080 करोड़ रुपये की लागत वाली दरभंगा-नरकटियागंज रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना से रेल लाइन की क्षमता बढ़ेगी, अधिक यात्री और मालगाड़ियों का संचालन संभव होगा और उत्तर बिहार और देश के बाकी हिस्सों के बीच संपर्क मज़बूत होगा। क्षेत्र में सड़क के द्वारा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने एनएच-319 पर 4-लेन के आरा बाईपास की आधारशिला भी रखी,जो आरा-मोहनिया एनएच-319 और पटना-बक्सर एनएच-922 को जोड़ेगा, जिससे निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा और यात्रा का समय बचेगा। प्रधानमंत्री ने 820 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले एनएच-319 के परारिया से मोहनिया तक 4-लेन वाले खंड का भी उद्घाटन किया । यह एनएच-319 का वह हिस्सा है जो आरा शहर को एनएच-02 (स्वर्णिम चतुर्भुज) से जोड़ता है। इससे माल और यात्री यातायात में सुधार होगा। इसके अलावा, एनएच-333सी पर सरवन से चकाई तक पक्की सड़क के साथ 2-लेन का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे माल और लोगों की आवाजाही सुगम होगी और बिहार और झारखंड के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने दरभंगा में नए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) और पटना में एसटीपीआई की अत्याधुनिक इनक्यूबेशन सुविधा का उद्घाटन किया , जिसका उद्देश्य आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम उद्योग और स्टार्टअप को बढ़ावा देना है। ये सुविधाएँ आईटी सॉफ्टवेयर और सेवा निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेंगी। यह नवोदित उद्यमियों के लिए तकनीकी स्टार्टअप इको सिस्टम का पोषण भी करेगा और नवाचार, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और उत्पाद विकास को प्रोत्साहित करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत मंजूर मत्स्य विकास परियोजनाओं की एक श्रृंखला का उद्घाटन भी किया। यह बिहार के विभिन्न ज़िलों में नए मछली पालन केन्द्र (हैचरी), बायोफ्लोक इकाइयाँ, सजावटी मछली पालन, एकीकृत जलीय कृषि इकाइयाँ और मछली चारा मिलों सहित आधुनिक मत्स्य पालन अवसंरचना का शुभारंभ होगा। जलीय कृषि परियोजनाएँ रोज़गार के अवसर पैदा करने, मत्स्य उत्पादन बढ़ाने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने में मदद करेंगी।भविष्य के लिए तैयार रेलवे नेटवर्क की अपनी कल्पना के अनुरूप, प्रधानमंत्री राजेन्द्र नगर टर्मिनल (पटना) से नई दिल्ली, बापूधाम मोतिहारी से दिल्ली (आनंद विहार टर्मिनल), दरभंगा से लखनऊ (गोमती नगर) और मालदा टाउन से लखनऊ (गोमती नगर) के बीच भागलपुर के रास्ते चार नई अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखायी, जिससे क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार होगा। वहीं प्रधानमंत्री ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत बिहार में लगभग 61,500 स्वयं सहायता समूहों को 400 करोड़ रुपये भी जारी की। महिला-नेतृत्व वाले विकास पर विशेष ध्यान देते हुए, 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जोड़ा गया है।
प्रधानमंत्री ने 12,000 लाभार्थियों के गृह प्रवेश के तहत कुछ लाभार्थियों को चाबियाँ भी सौंपी और प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के 40,000 लाभार्थियों को 160 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की गयी ।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी भारत को आगे बढ़ाने के लिए हमें बिहार को विकसित बिहार बनाना है। आज बिहार में इतनी तेजी से काम इसलिए हो रहा है, क्योंकि केंद्र और राज्य में बिहार के लिए काम करने वाली सरकार है। विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं, जब केंद्र में कांग्रेस और आरजेडी की सरकार थी, तो यूपीए के 10 साल में बिहार को सिर्फ दो लाख करोड़ रुपए के आसपास मिले, यानि नीतीश जी की सरकार से ये लोग बदला ले रहे थे, बिहार से बदला ले रहे थे। 2014 में, केंद्र में आपने मुझे सेवा करने का अवसर दिया, केंद्र में आने के बाद मैंने बिहार से बदला लेने वाली इस पुरानी राजनीति को भी समाप्त कर दिया। पिछले 10 साल में, एनडीए के 10 वर्षों में बिहार के विकास के लिए जो राशि दी गई है, वो कांग्रेस और आरजेडी के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। ये पैसा बिहार में जनकल्याण के काम आ रहा है, ये पैसा विकास परियोजनाओं में काम आ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है कि बिहार दो दशक पहले किस तरह हताशा में डूबा हुआ था। आरजेडी और कांग्रेस के राज में विकास पर ब्रेक था, गरीब का पैसा गरीब तक पहुंचना असंभव था, जो शासन में थे उनकी बस यही सोच थी कि कैसे गरीब के हक का पैसा लूट लें, लेकिन बिहार असंभव को भी संभव बनाने वाले वीरों की धरती है, परिश्रमियों की धरती है। आप लोगों ने इस धरती को आरजेडी और कांग्रेस की बेड़ियों से मुक्त किया, असंभव को संभव बनाया, उसी का परिणाम है कि आज बिहार में गरीब-कल्याण की योजनाएँ सीधे गरीबों तक पहुँच रही हैं। पिछले 11 वर्षों में पीएम आवास योजना के तहत देश में गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा घर बनाए गए हैं। इनमें से करीब 60 लाख घर अकेले बिहार में गरीबों के लिए बनाए गए हैं। यानी, दुनिया में नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड और सिंगापुर जैसे देशों की जितनी कुल आबादी है, उससे ज्यादा लोगों को हमने अकेले बिहार में पक्के घर दिये हैं। बिहार में अकेले मोतिहारी जिले में ही 3 लाख के करीब गरीब परिवारों को पक्के घर मिले हैं। और, ये गिनती लगातार तेजी से आगे बढ़ रही है। आज भी यहां 12 हजार से ज्यादा परिवारों को अपने पक्के घर में गृह प्रवेश का सौभाग्य मिला है। 40 हजार से ज्यादा गरीबों को अपना पक्का घर बनाने के लिए बैंक में, उनके खाते में सीधे पैसे भेजे गए हैं, इसमें से ज्यादातर लोग दलित,महादलित और पिछड़े परिवारों के भाई-बहनें हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस के राज में गरीब को ऐसे पक्के घर मिलना असंभव था, जिन लोगों के राज में लोग अपने घरों में रंग-रोगन तक नहीं करवा पाते थे, डरते थे कि अगर रंग-रोगन हो गया तो पता नहीं कि मकान मालिक को ही उठवा लिया जाएगा, ऐसे आरजेडी वाले कभी आपको पक्का घर नहीं दे सकते थे।आज बिहार आगे बढ़ रहा है, तो इसके पीछे सबसे बड़ी ताकत बिहार की माताओं-बहनों की है। एनडीए द्वारा उठाए जा रहे एक-एक कदम का महत्व बिहार की माताएं-बहनें, यहां की महिलाएं अच्छी तरह समझती हैं। आप याद करिए, जब आपको 10 रुपया भी, अगर आपके पास है तो छिपाकर के रखना पड़ता था। ना बैंकों में खाता होता था, ना कोई बैंकों में घुसने देता था, गरीब का स्वाभिमान क्या होता है, ये मोदी जानता है। मोदी ने बैंकों से कहा गरीब के लिए दरवाजे कैसे नहीं खोलेंगे? और हमने इतना बड़ा अभियान चलाकर जनधन खाते खुलवाए। इसका बहुत बड़ा लाभ गरीब परिवारों की महिलाओं को हुआ। बिहार में भी करीब साढ़े 3 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते खुले। इसके बाद हमने सरकारी योजनाओं का पैसा सीधा इन खातों में भेजना शुरू किया। नीतीश जी की सरकार ने वृद्ध, दिव्यांग और विधवा माताओं को मिलने वाली पेंशन को 400 रूपये से बढ़ाकर 1100 रुपए महीने कर दिया है, ये पैसा सीधे आपके बैंक खाते में ही तो जाएगा। पिछले डेढ़ महीने में ही बिहार के 24 हजार से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों को 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद भेजी गई है। ये भी इसलिए हो पाया क्योंकि माताओं-बहनों के पास आज जनधन खातों की ताकत है। नारी सशक्तिकरण के इन प्रयासों के जबरदस्त परिणाम भी आ रहे हैं। देश में, बिहार में लखपति दीदी की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में हमने 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। अब तक डेढ़ करोड़ बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं। बिहार में भी 20 लाख से ज्यादा लखपति दीदी बनी हैं। अकेले चंपारण में ही, 80 हजार से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर लखपति दीदी हुई हैं।
इस साल प्रधानमंत्री का तीसरी बार मोतिहारी आगमन हुआ हैं जो साफ बताता है कि गांधी की कर्मस्थली को उन्होंने चुनावी समर का आगाज स्थल बनाया है। पूर्वी चम्पारण जिले में 12 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2020 के चुनाव में इनमें से 8 पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। एक सीट उनके सहयोगी जदयू के खाते में गयी थी। बिहार का भाजपा संगठन चाहता है कि हारी हुई बाकी सीटों जिनमे सुगौली और कल्याणपुर शामिल है को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खाते में डाल दिया जाए। भाजपा पूर्वी चम्पारण को एक रोल मॉडल जिले के रुप मे पेश करना चाहती है और राज्य के अन्य जिलों में रहने वाले नागरिकों को संदेश देना चाहती है कि गांधी की कर्मभूमि ने भाजपा को पूरी तरह से अपना लिया अब बिहार के दूसरे जिलों की बारी है। *(विनायक फीचर्स)*
कुमार कृष्णन -विनायक फीचर्स
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