पंचकूला सामूहिक आत्महत्या कांड: 20 करोड़ का कर्ज, धमकियां और टूटती उम्मीदें
मित्तल परिवार की पीड़ा की पूरी कहानी
हरियाणा के पंचकूला में मित्तल परिवार की सामूहिक आत्महत्या की दिल दहला देने वाली घटना के पीछे की परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं। सामने आया है कि कारोबारी प्रवीण मित्तल पर करीब 20 करोड़ रुपये का भारी कर्ज था, जिसकी वजह से वह मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुके थे। कर्ज न चुका पाने के कारण उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं।
व्यापार में नुकसान बना त्रासदी की शुरुआत
मूल रूप से हिसार निवासी प्रवीण मित्तल ने करीब 12 साल पहले पंचकूला में स्क्रैप फैक्ट्री शुरू की थी। लेकिन कारोबारी असफलता के चलते वह भारी घाटे में चले गए। देखते ही देखते उनकी देनदारियां बढ़ती गईं और कर्ज 20 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया।
धमकियों से डरकर किया देहरादून का रुख
परिवार पर मंडराते खतरे को देखते हुए प्रवीण मित्तल ने पंचकूला छोड़कर देहरादून में शरण ली। जानकारी के अनुसार, उन्होंने वहां पांच साल तक गुमनाम जिंदगी बिताई और किसी से कोई संपर्क नहीं रखा। तीन साल पहले वह दोबारा मोहाली के खरड़ में रहने लौटे, जहां पुरानी देनदारियों ने फिर से उन्हें घेर लिया।
गिरवी जिंदगी: टैक्सी चलाकर गुजारा
कर्ज के चलते मित्तल परिवार की संपत्ति—फ्लैट, गाड़ियां और फैक्ट्री—सब कुछ जब्त हो चुका था। ऐसे हालात में प्रवीण चंडीगढ़ में टैक्सी चलाकर परिवार का गुजारा कर रहे थे, लेकिन आमदनी बेहद सीमित थी। परिवार का भविष्य उन्हें अंधकारमय लगने लगा।
सुसाइड नोट में जताया भरोसा
प्रवीण मित्तल की कार से पुलिस को एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने अपने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी अपने ममेरे भाई संदीप अग्रवाल को सौंपी है। संदीप ने बताया कि कुछ दिन पहले ही प्रवीण ने उन्हें फोन कर यह बताया था कि वे पंचकूला के सकेतड़ी क्षेत्र में रह रहे हैं।
देहरादून के पड़ोसियों की जुबानी
देहरादून में मित्तल परिवार राघव विहार स्थित एक मकान में किराए पर रहता था। पड़ोसियों के मुताबिक, यह एक सादा जीवन जीने वाला परिवार था। प्रवीण एक एनजीओ चलाते थे और उनके तीन बच्चे स्थानीय स्कूल में पढ़ते थे। उनकी पत्नी भी शांत स्वभाव की थीं, और घर में कभी कोई कलह नहीं देखा गया।
गाड़ी दोस्त के नाम पर, क्योंकि बैंक ने ठुकराया लोन
जिस गाड़ी में मित्तल परिवार के शव मिले, वह प्रवीण के दोस्त गंभीर सिंह नेगी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। नेगी के अनुसार, प्रवीण को खराब बैंक रिकॉर्ड की वजह से फाइनेंस नहीं मिल रहा था, इसलिए उन्होंने मित्रता में अपने नाम पर गाड़ी फाइनेंस कराई थी।
आखिरी यात्रा बनी ‘कथा’
जानकारी के अनुसार, प्रवीण अपने परिवार के साथ पंचकूला में आयोजित एक धार्मिक कथा—बागेश्वर धाम की हनुमंत कथा—सुनने आए थे। लेकिन कथा के बाद, लौटते समय उन्होंने अपनी कार में पूरे परिवार को जहर दे दिया। माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चों के साथ उन्होंने भी जहर खा लिया।
सड़क किनारे खड़ी थी मौत की कार
पंचकूला के सेक्टर 27 में एक मकान के बाहर खड़ी कार में जब लोगों ने झांका तो भीतर का नज़ारा दिल दहलाने वाला था। सातों शव अचेत अवस्था में मिले। कार की तलाशी में एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें आत्महत्या की वजह और अंतिम संस्कार की जिम्मेदारियों का ज़िक्र बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने अभी नोट की सामग्री को सार्वजनिक नहीं किया है।
समाज को आईना दिखाती यह त्रासदी
मित्तल परिवार की यह आत्महत्या महज आर्थिक तंगी की नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनहीनता और तात्कालिक मदद के अभाव की भी कहानी है। यह घटना बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य, वित्तीय सहयोग और समय पर काउंसलिंग न मिल पाने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
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