मेडे कॉल : पायलट संकट में क्यों पुकारता है “MAYDAY, MAYDAY, MAYDAY”? जानिए इसकी अहमियत और पूरी प्रक्रिया
अहमदाबाद
एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद हादसे का शिकार हो गई, जिसमें सभी 242 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे से पहले पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को “मेडे कॉल” भेजा था, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। यह raises करता है अहम सवाल – आख़िर ‘मेडे’ कॉल होता क्या है, इसे कब किया जाता है, और इसके बाद क्या कदम उठाए जाते हैं?
क्या होता है MAYDAY कॉल?
‘Mayday’ एक अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन संकेत है, जिसे रेडियो कम्युनिकेशन के ज़रिए भेजा जाता है। इसे तब उपयोग किया जाता है जब किसी विमान, पोत या अन्य वाहन में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया हो और जान-माल को तत्काल खतरा हो।
यह शब्द फ्रांसीसी वाक्यांश “m’aider” से लिया गया है, जिसका मतलब है – “मेरी मदद करो।”
पायलट संकट की स्थिति में तीन बार “Mayday” कहकर संदेश शुरू करता है, ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि हालात सामान्य नहीं हैं, बल्कि जानलेवा हैं। उदाहरण:
“Mayday, Mayday, Mayday, This is Air India AI-171, engine failure, requesting emergency landing.”
कब की जाती है मेडे कॉल?
मेडे कॉल सिर्फ गंभीर और जानलेवा स्थितियों में की जाती है, जैसे:
- इंजन फेल होना
- हाइड्रोलिक या ब्रेक सिस्टम में खराबी
- खराब मौसम में नियंत्रण खो जाना
- बम की सूचना या विमान अपहरण (Hijack)
- पायलट या क्रू की अचानक तबीयत खराब होना
- कैबिन में आग या धुआं
- इमरजेंसी लैंडिंग की जरूरत
मेडे कॉल के बाद क्या होता है?
जैसे ही एटीसी को मेडे कॉल प्राप्त होती है, तुरंत एक आपातकालीन प्रक्रिया शुरू की जाती है:
- रनवे प्राथमिकता पर खाली कराया जाता है, ताकि विमान बिना देर किए लैंड कर सके।
- राहत व आपात दलों को अलर्ट कर दिया जाता है – जैसे फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीमें, और बचाव इकाइयाँ।
- राडार पर विमान की लगातार निगरानी की जाती है और विमान के हर मूवमेंट को ट्रैक किया जाता है।
- आसपास के विमानों को अलग रास्तों पर डायवर्ट किया जाता है, ताकि संकटग्रस्त विमान के लिए रास्ता साफ रहे।
- जरूरत पड़ने पर पास के देशों का ATC भी मदद के लिए सक्रिय हो जाता है।
मेडे कॉल क्यों इतना अहम है?
मेडे कॉल एक तयशुदा और मान्यता प्राप्त इंटरनेशनल प्रोटोकॉल है, जिससे एयर ट्रैफिक कंट्रोल और राहत एजेंसियों को तुरंत संकेत मिलता है कि स्थिति सामान्य नहीं है। यह समय बचाता है, और कई बार दुर्घटनाओं को टालने में भी मदद करता है। हालांकि, अहमदाबाद की दुर्घटना में दुर्भाग्यपूर्ण रूप से समय पर जवाब नहीं मिल पाया, जिससे स्थिति भयावह हो गई।
क्या इसके अलावा और भी कॉल होते हैं?
हाँ, मेडे से कम खतरे की स्थिति में पायलट “PAN-PAN” (read as “pahn-pahn”) कॉल करते हैं, जो तकनीकी खराबी या मेडिकल असहजता जैसी समस्याओं के लिए होता है, लेकिन जान को तत्काल खतरा नहीं होता।
मेडे कॉल पायलट की सबसे ऊंची चेतावनी पुकार होती है – जब सब कुछ दांव पर होता है। यह कॉल सुनते ही हर सिस्टम एक्टिव हो जाता है। अहमदाबाद हादसे में हालांकि जवाब नहीं मिल पाया, लेकिन मेडे कॉल की प्रक्रिया और उसका महत्व एक बार फिर चर्चा में है। इस घटना ने दिखा दिया कि तकनीकी सतर्कता और संचार का वक्त पर सक्रिय होना कितनी बड़ी जानें बचा सकता है।
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