अब खत्म होगी MRP पर मनमानी ! केंद्र सरकार ला रही है नया नियम, कीमतों में बढ़ेगी पारदर्शिता !
तमाम तरह के डिस्काउंट , लुभावने ऑफर पर भविष्य में लग सकती है लगाम
दिल्ली केशव भुराड़िया
अब दुकानदार किसी भी पैकेज्ड सामान की कीमत मनमर्जी से तय नहीं कर पाएंगे। केंद्र सरकार अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से जुड़े नियमों में बदलाव की तैयारी कर रही है। इस बदलाव का मकसद ग्राहकों को यह साफ जानकारी देना है कि किसी उत्पाद की कीमत आखिर तय कैसे हुई—उसमें लागत क्या है, और मुनाफा कितना जोड़ा गया है।
क्या है सरकार की योजना?
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस दिशा में एक नया फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है, जिसमें MRP को उत्पाद की लागत और सीमित लाभ के आधार पर तय करने का प्रावधान होगा। यानी अब कंपनियां मनमाने MRP नहीं छाप सकेंगी। खासकर आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य सामग्री, दवाइयों और दैनिक उपयोग के सामानों पर यह नियम सख्ती से लागू किए जा सकते हैं।
क्यों जरूरी है बदलाव?
वर्तमान व्यवस्था में कंपनियां किसी भी उत्पाद पर कोई भी अधिकतम खुदरा मूल्य घोषित कर सकती हैं। दुकानदार उसे उस दाम पर बेचें या भारी छूट के साथ, यह पूरी तरह उनकी मर्जी पर है। नतीजा यह होता है कि MRP का वास्तविक मूल्य से कोई लेना-देना नहीं रह जाता और उपभोक्ताओं को भ्रमित किया जाता है। सरकार अब इस “छूट का खेल” बंद करने की दिशा में कदम उठा रही है।
उद्योग जगत की राय भी ली गई
इस प्रस्ताव पर 16 मई को मंत्रालय ने उद्योग संगठनों, उपभोक्ता समूहों और कर अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की थी। बैठक में कंपनियों ने चिंता जताई कि अगर MRP पर लागत आधारित नियंत्रण लागू किया गया, तो कुछ उत्पाद बाजार से हट सकते हैं। वहीं उपभोक्ता संगठनों का मत था कि कीमत तय करने की पारदर्शी प्रक्रिया जरूरी है, ताकि “फर्जी छूट” और मुनाफाखोरी पर लगाम लगाई जा सके।
कानून में बदलाव की तैयारी
वर्तमान में “कानूनी मापविज्ञान अधिनियम, 2009” केवल पैकेज्ड सामान पर वजन, माप और मूल्य अंकित करने का प्रावधान करता है, लेकिन कीमत कैसे तय हो यह नहीं बताता। सरकार इसी कानून में संशोधन कर सकती है ताकि कीमत तय करने की एक स्पष्ट रूपरेखा बने।
आम उपभोक्ता को क्या मिलेगा?
यदि प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो ग्राहकों को यह स्पष्ट रूप से समझ में आएगा कि जिस उत्पाद को वे खरीद रहे हैं, उसकी कीमत कितनी वाजिब है। इससे “₹5000 MRP पर 50% छूट” जैसे भ्रमकारी ऑफर्स की हकीकत भी सामने आएगी और मुनाफाखोरी पर रोक लगेगी।
सरकार का यह कदम किसी भी कीमत नियंत्रण प्रणाली को थोपने का प्रयास नहीं है, बल्कि बाजार में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। यदि यह नीति लागू होती है, तो भारत का खुदरा कारोबार उपभोक्ता के हित में अधिक संतुलित और ईमानदार बन सकेगा। इससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा और कंपनियों को अपनी मूल्य निर्धारण नीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
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