मिनिमम बैलेंस से आगे भी है बैंकों की कमाई का बड़ा खेल
बैंकों की कमाई के तरीके जानकर हैरान रह जाएंगे
यूपीआई पर भी चार्ज लिए जाने की संभावना जल्द
देश में बैंकिंग सेवाओं का दायरा जितना बड़ा है, उतना ही बैंकों की कमाई के तरीकों का दायरा भी फैल गया है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि बैंक मुख्य रूप से मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनल्टी से कमाते हैं, लेकिन हकीकत में यह सिर्फ एक हिस्सा है। असल कमाई कई अन्य ‘छोटे-छोटे’ चार्जेस से होती है, जो ग्राहकों की नजर में मामूली लगते हैं, मगर बैंकों के खजाने में अरबों रुपये जोड़ देते हैं।
हाल ही में देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने सेविंग्स अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की लिमिट बढ़ाकर शहरी क्षेत्रों में 50 हजार रुपये कर दी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने बैंक की आलोचना करते हुए इसे आम जनता से दूरी बनाने का कदम बताया। बैंक ने अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मिनिमम बैलेंस और पेनल्टी संरचना तय की है। उदाहरण के तौर पर, शहरी और अर्ध-शहरी शाखाओं में 100 रुपये के साथ मिनिमम बैलेंस का 5% शुल्क लिया जाता है, जबकि ग्रामीण शाखाओं में सिर्फ बैलेंस का 5% चार्ज के रूप में वसूला जाता है।
नॉन-ऑपरेशनल अकाउंट और एटीएम चार्जेस
यदि खाता कई महीनों तक निष्क्रिय रहता है, तो बैंक ‘नॉन-ऑपरेशनल’ शुल्क भी वसूलते हैं। वहीं, एटीएम से नकदी निकासी पर भी सीमाएं तय हैं। अधिकांश बैंक महीने में 4-5 मुफ्त निकासी की सुविधा देते हैं, जिसके बाद प्रत्येक लेनदेन पर 20 से 50 रुपये तक का शुल्क लगाया जाता है। यदि ग्राहक किसी अन्य बैंक के एटीएम का उपयोग करता है, तो शुल्क और बढ़ सकता है।
डेबिट कार्ड और एसएमएस अलर्ट के शुल्क
डेबिट कार्ड के लिए बैंकों की वार्षिक मेंटेनेंस फीस 100 से 500 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा, एसएमएस अलर्ट के लिए तिमाही आधार पर 15 से 20 रुपये तक वसूले जाते हैं। चेकबुक में भी सिर्फ सीमित पन्ने मुफ्त मिलते हैं, अतिरिक्त पन्नों पर शुल्क देना पड़ता है।
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर भी वसूली
भले ही डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की बातें होती हों, लेकिन कई बैंक एनईएफटी, आरटीजीएस या बड़े अमाउंट वाले यूपीआई ट्रांजैक्शन पर भी शुल्क लगाते हैं।
बैंकिंग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी शुल्कों का असर अकेले किसी एक ग्राहक पर भले कम लगे, लेकिन जब लाखों खाताधारकों से यह राशि जुटाई जाती है, तो यह बैंकों के लिए एक बड़ी आय का स्रोत बन जाती है। यही कारण है कि बैंक अपनी ‘फीस और चार्जेस’ संरचना को समय-समय पर अपडेट करते रहते हैं, जिससे उनकी गैर-ब्याज आय लगातार बढ़ती रहे।

मिनिमम बैलेंस के नियम: ICICI से HDFC तक, जानिए बड़े बैंकों की शर्तें और पेनल्टी
निजी और सरकारी बैंकों में सेविंग्स अकाउंट के लिए तय मिनिमम बैलेंस की लिमिट एक बार फिर चर्चा में है। इसकी वजह है आईसीआईसीआई बैंक का हालिया फैसला, जिसमें मेट्रो शहरों में सेविंग्स अकाउंट के लिए न्यूनतम राशि को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर सीधे 50 हजार रुपये कर दिया गया है। यही नहीं, सेमी अर्बन क्षेत्रों में यह लिमिट 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 2,500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है। तय बैलेंस न रखने पर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 100 रुपये के साथ बैलेंस का 5% और ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 5% पेनल्टी के रूप में वसूला जाएगा।
अन्य बड़े बैंकों की स्थिति
देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई पहले ही साल 2020 में मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाली पेनल्टी को समाप्त कर चुका है, हालांकि कई अन्य बैंक अभी भी यह नियम लागू करते हैं।
एचडीएफसी बैंक में मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के खातों में कम से कम 10 हजार रुपये, अर्ध-शहरी में 5,000 रुपये और ग्रामीण शाखाओं में 2,500 रुपये रखना अनिवार्य है। निर्धारित राशि से कम बैलेंस होने पर अधिकतम 600 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में शहरों में चेकबुक वाले खातों के लिए 1,000 रुपये और बिना चेकबुक के 500 रुपये का बैलेंस जरूरी है। अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह क्रमशः 500 रुपये और 250 रुपये है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में चेकबुक वाले खातों के लिए 250 रुपये और बिना चेकबुक के 100 रुपये की न्यूनतम राशि रखनी होती है।
एक्सिस बैंक में शहरी क्षेत्रों में 12,000 रुपये, अर्ध-शहरी में 5,000 रुपये और ग्रामीण शाखाओं में 2,500 रुपये का न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना जरूरी है।
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मिनिमम बैलेंस की शर्तें न केवल ग्राहकों के लिए वित्तीय दबाव बढ़ाती हैं, बल्कि यह बैंकों की गैर-ब्याज आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
जल्द लग सकता है यूपीआई से लेनदेन पर भी चार्ज
कोरोना काल के बाद गूगल पर पेटीएम और यूपीआई लेनदेन में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है । वीडियो रिपोर्ट्स की माने तो बहुत जल्द ही यूपीआई लेनदेन पर भी सरकार चार्ज लगाने जा रही है । अगर ऐसा होता है तो बैंकों की कमाई का मिनिमम बैलेंस चार्ज के अलावा कमाई का एक और रास्ता खुल जाएगा ।
नोट : अलग-अलग बैंकों के चार्ज अलग-अलग हो सकते हैं । जगह के आधार पर भी बैंक अलग-अलग तरीके से चार्ज करते हैं । किसी भी प्रकार के बैंकिंग चार्ज के लिए अपने बैंक से ही संपर्क करें।
बैंकों में मिनिमम चार्ज लगाए जाने को लेकर ग्रीष्मकालीन सत्र में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सवाल उठाते हुए कहा था कि आम आदमी की जेब से छोटे-छोटे चार्ज लगाकर बैंक करोड़ों रुपए वसूल रहे हैं आखिरकार इनका जवाब कौन देगा या कौन जवाब देय है । राघव चड्ढा ने आंकड़ों के लोकसभा में बैंकिंग चार्ज को लेकर आम आदमी के दर्द को रखा था ।
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