हे राम : भाजपा नेता आए थे तिरंगा यात्रा लेकर ,पर तिरंगे के नीचे ही गंदगी फैला कर चले गए !
पंचकूला में भाजपा की तिरंगा यात्रा के बाद गंदगी का मेला, नेताओं की नीयत पर उठे सवाल
भाजपा नेताओं की कथनी और करनी पर सवाल
पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
पंचकूला भाजपा द्वारा मंडल स्तर पर आयोजित तिरंगा यात्रा का भव्य आयोजन तो हुआ, लेकिन इसके बाद छोड़ दी गई गंदगी ने सरकार और नेताओं की ईमानदारी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
देर शाम सेक्टर 11-15 चौक से शुरू होकर मेजर अनुज राजपूत चौक पर समाप्त हुई इस यात्रा में पंचकूला भाजपा के सभी बड़े नेता शिरकत करते दिखे। यात्रा का उद्देश्य जहां राष्ट्रभक्ति के साथ स्वदेशी अपनाना का संदेश देना था, वहीं आयोजन के बाद का नजारा विपरीत रहा।
यात्रा खत्म होने के बाद जब सभी नेता वापस लौट गए, तब उसी पार्क में चाय-नाश्ते की प्लेटें और पानी की बोतलें खुलेआम चारों तरफ बिखरी हुई मिलीं। यह स्थिति इस वक्त और भी चिंताजनक है, जब पंचकूला की सफाई व्यवस्था पिछले कुछ समय में लगातार गिरावट पर है और हाल ही में घोषित रैंकिंग में शहर ने 80वें स्थान तक गिरकर 219 रैंक का सफर तय किया है।
चार दिन पहले ही उपयुक्त कार्यालय में पंचकूला को 10वीं रैंक तक लाने के लिए शपथ ग्रहण ली गई थी , जिसमें भाजपा के शीर्ष नेता भी मौजूद थे। ऐसे में यह विरोधाभास कि सफाई के लिए किए गए वादे और शपथ के बावजूद यहां तिरंगा यात्रा के बाद साफ-सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा गया, आम जनता के लिए एक बड़ा सवाल है।
सवाल इस बात का भी है कि एक तरफ तो भाजपा नेता तिरंगा यात्रा निकालते हैं और तिरंगे की कसम खाते हैं और उसी तिरंगे के नीचे बैठकर चाय नाश्ता करते हैं जिस तिरंगे के नीचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने आप को गर्व भरा महसूस करते हैं ।
विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि भाजपा नेताओं को चाहिए था कि वे आयोजन स्थल पर कूड़ेदान और काले रंग के कूड़े के बैग लगवाते। अगर ऐसा संभव नहीं था, तो कम से कम आयोजन समाप्ति के बाद साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करते। लेकिन ऐसा कहीं नजर नहीं आया।




खबरी प्रसाद अखबार के संवाददाता ने कार्यक्रम समाप्त होने के बाद देर रात लगभग 9:00 बजे पुनः जाकर देखा कि टेंट वालों ने अपना सामान तो उठा लिया था, लेकिन गंदगी जस की तस पड़ी हुई थी। न तो सफाई कर्मी थे, न ही भाजपा कार्यकर्ताओं में से कोई भी साफ-सफाई के लिए मौजूद था।
इस पूरे प्रकरण से भाजपा नेताओं की ‘कहने और करने’ के बीच की खाई स्पष्ट हो जाती है। जब खुद नेता सफाई के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तो आम जनता से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह स्वच्छता बनाए रखे।
अब सवाल यह उठता है कि क्या पंचकूला के प्रशासन और भाजपा नेतृत्व इस मामले में संज्ञान लेंगे और सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएंगे, या यह सब महज दिखावा ही साबित होगा।
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