छत टपक रही, पिलर में दरारें — फिरोजपुर का विद्यालय बना हादसे का इंतज़ार!
शिक्षा मंत्री के वादे हवा में, फिरोजपुर स्कूल में बच्चों की सुरक्षा खतरे में
फिरोजपुर विद्यालय में टपकती छत और दरारें: क्या शिक्षा विभाग को आंखें खोलनी चाहिए?
फिरोजपुर गाँव का सरकारी उच्च विद्यालय जर्जर हालत में, बारिश में टपकती छत और कमज़ोर पिलर से ख़तरे की आशंका
फिरोजपुर स्कूल में हर बारिश के साथ बढ़ते ख़तरे, प्रशासन और मंत्री की चुप्पी पर सवाल
गांव फिरोजपुर स्थित राजकीय उच्च विद्यालय की स्थिति अब इतनी गंभीर हो चुकी है कि यह एक बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है। विद्यालय की छत से लगातार पानी टपकता है, पिलरों में गहरी दरारें आ चुकी हैं और दीवारों में भी ख़तरे के निशान साफ़ दिखाई दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे स्कूल की दीवारें खुद कह रही हों कि अरे भाई, हमें तो बचाओ। लेकिन अफ़सोस, ऐसा कोई बचाव अब तक नहीं दिख रहा। जानकारी के अनुसार, बरसात के दिनों में हालात और भी भयावह हो जाते हैं, क्योंकि कक्षाओं में पानी भर जाता है। इससे न सिर्फ़ पढ़ाई में रुकावट आती है, बल्कि यह बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक भी हो सकता है। इसके अलावा, यह जर्जर स्थिति स्कूल के पूरे वातावरण को असुरक्षित बना देती है, जहाँ शिक्षक और छात्र एक ख़तरनाक माहौल में शिक्षा प्राप्त करने को मजबूर हैं। जबकि ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या शिक्षा विभाग और मंत्री महिपाल ढांडा इस स्थिति को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम ले रहे है। क्या बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा का स्तर उनकी प्राथमिकता नहीं है।
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के नंबर-1 सरकारी स्कूलों के दावे हवा-हवाई
प्रदेश के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कई बार वादा किया था कि वे प्रदेशभर के स्कूलों की हालत सुधारेंगे और उन्हें नंबर-1 बनाएंगे। लेकिन फिरोजपुर का यह विद्यालय उनके इन दावों की हकीकत बयां कर रहा है। यह स्कूल अब उनकी नाकामी का प्रतीक बन चुका है। बता दें कि मंत्री महोदय के दावे और ज़मीनी हकीकत के बीच एक बड़ा फ़र्क़ नज़र आता है। जब उन्होंने काग़ज़ी आंकड़ों और घोषणाओं के ज़रिए सुधार का दावा किया था, तो शायद किसी ने नहीं सोचा था कि किसी विद्यालय की हालत इतनी बदतर हो सकती है। हालांकि, ग्रामीणों और अभिभावकों ने इस समस्या को कई बार प्रशासन के समक्ष उठाया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। फिलहाल, स्थानीय लोगों के मन में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या मंत्री महिपाल ढांडा सिर्फ़ योजनाओं और प्रचार में उलझे हुए हैं, जबकि विद्यालयों की ज़मीनी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। क्या बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता वास्तव में उनकी प्राथमिकता है।
हादसें के साए में स्कूल आ रहे बच्चे, खतरे से बचने के लिए जरूरी कदम विभाग और सरकार
गांव के लोग अब इस स्थिति से पूरी तरह तंग आ चुके हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो यह विद्यालय किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकता है। प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस मुद्दे से कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति भी सवाल उठाती है कि क्या शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और ज़िला प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं या फिर सब कुछ सिर्फ़ काग़ज़ी योजनाओं और घोषणाओं तक ही सीमित है, जबकि जमीनी हकीकत में बच्चे और शिक्षक रोज़ जोखिम झेल रहे हैं।
हमने पिछले वर्ष मरम्मत के लिए बजट प्रस्तावित किया था, लेकिन अभी तक एस्टीमेट स्वीकृत नहीं हुआ है। विद्यालय की दीवारें सामान्यतः सुरक्षित हैं, लेकिन अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ हिस्सों में दरारें उत्पन्न हो गई हैं, जिन्हें तुरंत सुधारना आवश्यक है। इस संबंध में हमने सरकार को अवगत करा दिया है और जैसे ही बजट प्राप्त होगा, मरम्मत कार्यों को प्राथमिकता देते हुए शीघ्र पूरा कराया जाएगा। – रामकरण, प्रधानाचार्य फिरोजपुर विद्यालय
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