लाल किला ब्लास्ट केस: तीन अहम फैक्टर्स पर टिक गई जांच, हर सुराग की हो रही गहन पड़ताल
दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए धमाके ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। जांच अब तीन प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित हो चुकी है, जिनसे इस पूरे नेटवर्क और साजिश का खुलासा होने की उम्मीद है।
पहला फैक्टर – डॉक्टर उमर के ‘तीन घंटे’ का रहस्य
जांच के मुताबिक, डॉक्टर उमर ने दोपहर 3:19 बजे लाल किले की पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी की और 6:22 बजे उसे बाहर निकाला। सवाल यह है कि इन तीन घंटों में वह कहां था? क्या वह वहीं मौजूद था या किसी से मिलने गया था? पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या उसने इलाके की रेकी की या किसी निर्देश का इंतजार कर रहा था। इस दौरान उमर को अपने साथियों की गिरफ्तारी की जानकारी मिल चुकी थी, फिर भी उसने इतनी देर तक हाई-सिक्योरिटी जोन में रुकने का जोखिम क्यों उठाया — यह सवाल अब जांच का केंद्र बन गया है।
दूसरा फैक्टर – अल फलाह यूनिवर्सिटी कनेक्शन
फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों का नाम सामने आने के बाद एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या यह नेटवर्क इससे भी बड़ा है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री कहां से और कैसे पहुंचाई गई। सूत्रों के अनुसार, टेलीग्राम ग्रुप के जरिए ये आरोपी एक व्यापक स्लीपर सेल नेटवर्क से जुड़े हुए थे। एजेंसियां उस ग्रुप के अन्य सदस्यों की भी पहचान कर रही हैं ताकि पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश हो सके।
तीसरा फैक्टर – ब्लास्ट के तकनीकी पहलू
अब तक दिल्ली में हुए बम धमाकों में कील, बॉल बेयरिंग या ब्लेड जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल देखा गया है ताकि नुकसान का दायरा बढ़ सके। लेकिन इस बार ऐसा कोई ऑब्जेक्ट नहीं मिला है। इसके बावजूद धमाके का इंपैक्ट बेहद शक्तिशाली था — कई गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए, जबकि सड़क पर कोई गड्ढा तक नहीं बना। यह विस्फोटक की संरचना और तकनीक को लेकर नया सवाल खड़ा करता है।
सुरक्षा एजेंसियां अब इन तीनों बिंदुओं को जोड़कर यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि आखिर इस ब्लास्ट के पीछे कौन-सी बड़ी साजिश छिपी है और क्या यह किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ी हुई थी। जांच आगे बढ़ने के साथ कई नए खुलासों की उम्मीद है।




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