कब होंगे कुंवर विजय शाह बर्खास्त ! क्या इसके लिए भी निकालना पड़ेगा शुभ मुहूर्त !
मध्य प्रदेश सरकार के बेलगाम मंत्री विजय शाह को बर्खास्त कर स्पष्ट संदेश दे मोहन सरकार
नई दिल्ली
पुलवामा जैसे आतंकी हमले के बाद चले ऑपरेशन सिंदूर और उसमें सक्रिय भूमिका निभाने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर सियासी और सामाजिक हलकों में उबाल है। बुधवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर खुद संज्ञान लेकर मंत्री पर पर्चा दर्ज करने के आदेश दिए हैं देर रात मध्य प्रदेश पुलिस ने कोर्ट के बताया कि मंत्री जी पर पर्चा दर्ज कर लिया गया है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पर्चा दर्ज की कॉपी जब कोर्ट को उपलब्ध कराई गई तो कोर्ट ने कहा किया तो मंत्री जी को बचाने के लिए ऐसी धाराएं लगा दी गई है । बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह मंत्री जी की पूरी टीम मंत्री जी को बचाने निकल पड़ी और पहुंच गई सुप्रीम कोर्ट । पर यहां भी मंत्री जी को खरी खरी सुननी पड़ी । कोर्ट ने साफ और स्पष्ट लफ्जों में कह दिया कि बोलते वक्त शब्दों का ध्यान दिया करें और जो पर्चा दर्ज हुआ उसको रद्द करने से मना कर दिया । फिलहाल इस मामले में सुनवाई आज 16 मई को सुप्रीम कोर्ट में अब होगी । पर सवाल इस बात का नहीं है सवाल इस बात का है की खबर लिखे जाने तक विजय शाह मध्य प्रदेश सरकार में बतौर मंत्री की हैसियत से बरकरार थे क्यों नहीं मोहन सरकार ने विजय से इस्तीफा लिया या भाजपा ने इतना दबाव क्यों नहीं बनाया की विजय साहब खुद मंत्रीपद से इस्तीफा दे देते । शायद अभी भाजपा किसी शुभ मुहूर्त के इंतजार में है ।
देश के प्रमुख अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने बुधवार के संपादकीय में इस विषय पर सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की है।
“नफरत की राजनीति को बढ़ावा नहीं दे सकते”: इंडियन एक्सप्रेस
संपादकीय में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह द्वारा दिया गया बयान “घृणास्पद और खतरनाक” बताया गया है। उल्लेखनीय है कि शाह ने एक जनसभा में कर्नल कुरैशी का नाम लिए बिना कहा था, “जिन लोगों ने हमारी बेटियों को विधवा बनाया, हमने उन्हें सबक सिखाने के लिए उनकी अपनी बहन को भेजा।” उनका इशारा उस सैन्य अधिकारी की ओर था, जिन्होंने आतंकियों के खिलाफ निर्णायक ऑपरेशन का नेतृत्व किया था।
संपादकीय में लिखा गया है कि यह बयान सिर्फ एक महिला अफसर का नहीं, बल्कि पूरी सेना और राष्ट्र सेवा के मूल्यों का अपमान है। “सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह ऐसे बयान का समर्थन नहीं करती — और इसके लिए मंत्री को पद से हटाना आवश्यक है,” लेख में दो टूक कहा गया।
मामले पर अदालत की सख्ती और मंत्री की माफी
इस विवादास्पद बयान पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद शाह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आदेश को चुनौती दी। उन्होंने याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की है।
बढ़ते विरोध और कानूनी कार्रवाई के बीच विजय शाह ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी कर कर्नल कुरैशी से माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मैं अपने बयान से आहत सभी नागरिकों से क्षमा चाहता हूं। कर्नल सोफिया कुरैशी जाति, धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर देश के लिए लड़ी हैं — वह मेरी बहन से भी ऊपर हैं।”
सरकार पर बढ़ा दबाव, CMO ने भी लिया संज्ञान
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं। हालांकि, यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि पार्टी स्तर पर मंत्री के भविष्य को लेकर क्या निर्णय लिया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक परिपक्वता की मांग
इंडियन एक्सप्रेस ने अपने संपादकीय के अंत में यह लिखा, “देश को सिर्फ सीमाओं पर नहीं, भीतर की नफरत से भी लड़ाई लड़नी है। अगर हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं, तो यह एकजुटता शब्दों और व्यवहार में भी दिखनी चाहिए।”
यह लेख ऐसे समय आया है जब सोशल मीडिया पर कर्नल कुरैशी, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनकी बेटी तक को ट्रोल किया गया है। ऐसे में यह संपादकीय पत्रकारिता की उस परंपरा की मिसाल बनकर सामने आता है, जहां सत्ता से सवाल पूछना एक लोकतांत्रिक दायित्व माना जाता है।
अब निगाहें प्रधानमंत्री और भाजपा नेतृत्व पर हैं — क्या वे इस कड़े और स्पष्ट संदेश का सम्मान करते हुए जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे?
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