IMF से दुश्मन पाकिस्तान को मिला कर्ज , भारत में जताई चिंता !
आतंकवाद से जुड़े खतरे को किया उजागर
नई दिल्ली रीतेश माहेश्वरी
पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक बिलियन डॉलर की नई ऋण सहायता मिलने के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। भारत ने IMF की कार्यकारी बोर्ड बैठक में पाकिस्तान के वित्तीय रिकॉर्ड और आतंकवाद को संरक्षण देने वाली नीतियों पर सवाल उठाते हुए यह स्पष्ट किया कि ऐसे देश को लगातार आर्थिक सहायता देना वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
भारत ने कहा कि पाकिस्तान न केवल IMF का पुराना कर्जदार रहा है, बल्कि उसका रिकॉर्ड भी काफी खराब रहा है। भारत ने बोर्ड बैठक में वोटिंग से दूरी बनाते हुए यह संदेश दिया कि आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देश के लिए नया बेलआउट पैकेज देना उचित नहीं है।
IMF के फंड का दुरुपयोग संभव: भारत
भारत ने IMF से सवाल किया कि क्या ऐसी सहायता वास्तव में पाकिस्तान की जनता के कल्याण में उपयोग होगी या फिर अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी गतिविधियों में निवेश हो सकता है। भारत ने रेखांकित किया कि 1989 के बाद से पाकिस्तान ने 28 में से 35 वर्षों तक IMF से सहायता प्राप्त की है, और फिर भी वह स्थायी आर्थिक स्थिरता नहीं ला सका। भारत ने यह भी कहा कि बार-बार कर्ज मिलना IMF की नीति-निर्माण और निगरानी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करता है।
राजनीतिक हस्तक्षेप और सेना की भूमिका पर चिंता
भारत ने यह भी बताया कि पाकिस्तान की आर्थिक नीतियों में सेना का अत्यधिक हस्तक्षेप है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चुनी हुई सरकार के होते हुए भी सेना का राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों में गहरा प्रभाव बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में पाकिस्तान की सेना को देश का सबसे बड़ा व्यावसायिक समूह बताया गया है।
भारत ने आगाह किया कि यदि आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले देशों को लगातार सहायता मिलती रही, तो यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की साख को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे न केवल वैश्विक सिद्धांत कमजोर होते हैं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध बनी एकता को भी ठेस पहुंचती है।
पाकिस्तान को IMF की मंजूरी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुष्टि की कि IMF ने विस्तारित निधि सुविधा के तहत 1 बिलियन डॉलर की सहायता को मंजूरी दे दी है। शहबाज शरीफ ने इसे भारत की रणनीति की विफलता बताते हुए राहत की बात कही है। हालांकि, भारत का रुख यह दर्शाता है कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए केवल आर्थिक समर्थन नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध सख्त वैश्विक नीति भी आवश्यक है।
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