न्यायालय की अवमानना पर वकील को छह माह की सजा, प्रैक्टिस पर लग सकती है तीन साल की रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक पांडेय को छह माह की सश्रम कारावास और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। वकील पर न्यायाधीशों को अपमानजनक शब्दों से संबोधित करने का आरोप था।
अदालत ने अपने आदेश में वकील को आत्मसमर्पण के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। इसके साथ ही उनकी विधिक प्रैक्टिस पर भी तीन वर्षों के लिए रोक लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कोर्ट ने इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि क्यों न उन्हें तीन साल तक उच्च न्यायालय में वकालत करने से वंचित कर दिया जाए।
यह मामला न्यायालय की गरिमा और निष्पक्षता की रक्षा से जुड़ा है, जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने का माध्यम नहीं बन सकता।
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