भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों की वजह से स्वच्छता सर्वेक्षण में पंचकूला की रैंकिंग 80 अंक गिरी
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में चंडीगढ़ की जबर्दस्त छलांग , तो पड़ोसी शहर पंचकूला की रैंकिंग सिर के बल गिरी
अब बबला के सामने चंडीगढ़ को नंबर वन लाने की चुनौती !
वही गोयल को खोया सम्मान वापस पाने की चुनौती !
चंडीगढ़ / पंचकुला
रीतेश माहेश्वरी / जगदीप
स्वच्छ भारत मिशन के तहत आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में चंडीगढ़ ने 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल कर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। तो वही चंडीगढ़ के पड़ोसी और हरियाणा की अघोषित राजधानी कहे जाने वाले शहर पंचकूला ने इसी कैटिगरी में स्वच्छता रैंकिंग में 80 अंक नीचे गिरकर 239 पर पहुंच गया । चंडीगढ़ को स्वच्छता रैंकिंग 24 में दूसरे स्थान में पहुंचने पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में आयोजित समारोह में चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया और मेयर हरप्रीत कौर बबला को पुरस्कार प्रदान किया। यह रैंकिंग न केवल एक पुरस्कार है, बल्कि शहर की कार्यसंस्कृति, प्रशासनिक सोच और नागरिकों की सहभागिता की सकारात्मक तस्वीर भी है।
इस सफलता के पीछे कौन-कौन से कारक रहे निर्णायक?
2024 सर्वेक्षण की थीम थी – “वेस्ट टू वेल्थ” यानी कचरे से संपत्ति बनाना। इसके तहत शहरों का मूल्यांकन कचरा प्रबंधन, पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग), पुन: उपयोग और स्वच्छता के विभिन्न तकनीकी और व्यवहारिक पहलुओं पर किया गया। चंडीगढ़ ने इस दिशा में कई उल्लेखनीय कदम उठाए:
डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण
स्रोत पर कचरे का पृथक्करण
ऑटोमैटिक सीवरेज सफाई व्यवस्था
स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा हेतु विशेष प्रयास
इन्हीं प्रयासों के चलते चंडीगढ़ को “सफाई मित्र सुरक्षित शहर” का विशेष खिताब भी मिला। यह दर्शाता है कि शहर अब न केवल सफाई पर बल दे रहा है, बल्कि सफाईकर्मियों के कल्याण को भी प्राथमिकता दे रहा है।
2025 में पहला स्थान — क्या चंडीगढ़ है तैयार?
दूसरे स्थान के बाद अब चंडीगढ़ की नजर पहले पायदान पर है। चूंकि मेयर हरप्रीत कौर बबला का कार्यकाल अब लगभग साढ़े चार महीने से कुछ ज्यादा का ही बचा है, ऐसे में अगली रैंकिंग में नंबर वन बनने की ज़िम्मेदारी अब उन्हीं के कंधों पर है।

विश्लेषकों का मानना है कि चंडीगढ़ को 2025 में पहला स्थान दिलाने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है
कचरा प्रबंधन में नवाचार: वेस्ट-टू-वेल्थ के मॉडल को और सशक्त बनाना
अवैध बस्तियों पर निरंतर कार्रवाई: जहां स्वच्छता मानकों की अनदेखी हो रही है
नागरिक सहभागिता: जनजागरूकता अभियान और नागरिकों को भागीदार बनाना
सफाईकर्मियों के लिए बेहतर सुविधाएं: उन्हें केवल कार्यबल नहीं, ‘साथी’ मानकर व्यवहार
मेयर बबला स्वयं भी यह संकेत दे चुकी हैं कि यह सम्मान केवल प्रशासन की मेहनत नहीं, बल्कि “जनभागीदारी की जीत” है। लेकिन आने वाला समय यह तय करेगा कि वे इस उपलब्धि को अगले स्तर तक ले जा पाती हैं या नहीं।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में दूसरा स्थान प्राप्त करना एक बड़ी कामयाबी है, लेकिन 2025 की रेस में संघर्ष और संकल्प दोनों की आवश्यकता होगी।
नंबर वन बनने के लिए चंडीगढ़ को नीतियों को ज़मीन पर उतारने, अभियानों को निरंतर बनाए रखने, और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना होगा।
भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों की वजह से स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में पंचकूला की रैंकिंग गिरी
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के आंकड़ों में चंडीगढ़ के पड़ोसी शहर पंचकूला की अगर बात करें तो पंचकूला की रैंकिंग 80 पायदान गिर गई है । 2023 में पंचकूला की रैंकिंग 139 पायदान पर थी तो 2024 के यह 239 में स्थान पर है । पंचकूला के 80 रैंकिंग नीचे आने में अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा रहा है । स्वच्छता को लेकर बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें बताया गया था कि किस तरीके से अधिकारियों और पार्षदों द्वारा एक विशेष कंपनी से घूस ली गई थी । आरोप लगाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने तो यह तक कहा था कि यह भ्रष्टाचार 30 करोड रुपए तक का हो सकता है । तो ऐसे में सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि स्वच्छता रैंकिंग में पंचकूला कैसे अपनी रैंकिंग को सुधार सकता है । रैंकिंग में सुधार करने के लिए पंचकूला नगर निगम के अधिकारियों के पास पहले दिन से कोई कार्य योजना नहीं थी । कार्ययोजना थी तो सिर्फ यह कि अपनी जेब कैसे भरी जाए । तो वही पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल अधिकारियों पर कभी भी यह दबाव नहीं बना पाए कि हमें अपने शहर की रैंकिंग में सुधार करना है । नहीं अपने कार्यकाल में वह अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर किसी प्रकार की कोई लगाम अब तक लगा सके है । ऐसे में समझा जा सकता है कि शहर की रैंकिंग कैसे सुधार सकती है।
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध ले , की तर्ज पर अब पंचकूला नगर निगम के मेयर कुलभूषण गोयल को चाहिए की 2025 के स्वच्छता सर्वेक्षण मैं शहर की रैंकिंग सुधारने के लिए के लिए अभी से कमर कसे । अधिकारियों को साफ और सीधे लफ्जों में उनका कहना पड़ेगा की अगली बार शहर की रैंकिंग में सुधार होना ही चाहिए । हालांकि अब वक्त कम है और उनका कार्यकाल भी बहुत जल्द समाप्त होने वाला है । फिर भी उम्मीदों का दिया हमेशा रोशन रखना चाहिए । अगर कुछ कड़े उपाय अपना लिए गए तो ,हो सकता है अगली बार पंचकूला की रैंकिंग सुधार कर आए ।
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