पत्रकारिता के नाम पर सत्ता की भाषा बोलने वालों की संख्या बढ़ी !
दुनियाभर में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर संकट : सत्ता की भाषा बोल रहे ज्यादातर पत्रकार नई दिल्ली रीतेश माहेश्वरी वैश्विक परिदृश्य में पत्रकारिता, जो कभी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती थी, अब भारत के साथ साथ कई देशों में सत्ताधारी वर्ग के प्रचार उपकरण में तब्दील होती जा रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति […]