महाकुंभ और मोनालिसा : मनके या मन-के
मैं बेचना चाहती हूँ,बस माला के मनके ,पर यहाँ आये हैं ,सब लोग अलग-अलग मन के ,इन्हें कहाँ खरीदने हैं ,मेरी माला के मनके ,ये निहारना चाहते हैं ,मेरे नयनों के मनके ,कोई बस मेरी ,तस्वीर लेना चाहता है ,कोई मुझ से अपनी ,दिल की बातें कहना चाहता है ,पर जो मैं बेच रही हूँ […]