पंचकूला में आवारा पशुओं पर कार्रवाई के आदेश बेअसर, वीवीआईपी शहर में व्यवस्था ध्वस्त
जब निकल रही तिरंगा यात्रा सेक्टर 11 में दिखाई पड़ा आवारा पशुओं का झुंड
पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
पंचकूला में आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान 1 अगस्त 2025 से शुरू करने का आदेश मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के प्रधान सचिव ने उच्चस्तरीय बैठक में दिया था। आदेश के बाद नगर निगम आयुक्त आर.के. सिंह ने स्पष्ट निर्देश जारी किए कि सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को तत्काल पकड़कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए।
लेकिन, आदेश जारी होने के 10 दिन बाद भी शहर की तस्वीर जस की तस बनी हुई है। चौक-चौराहों, बाजारों और मुख्य सड़कों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा अब भी आम है। इससे साफ होता है कि नगर निगम के कर्मचारी न तो अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन कर रहे हैं और न ही अधिकारी उच्चाधिकारियों के निर्देशों से प्रभावित दिख रहे हैं।
यह लापरवाही उस समय और गंभीर हो जाती है जब मामला पंचकूला जैसे वीवीआईपी शहर , जहां मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों का लगातार आना-जाना रहता है। यहां राज्य सरकार के कई मुख्यालय मौजूद हैं, और इसे चंडीगढ़ से सटे होने के कारण ‘अघोषित वीवीआईपी शहर’ भी कहा जाता है।
यदि ऐसे शहर में मुख्यमंत्री स्तर से जारी निर्देशों का पालन नहीं हो रहा, तो प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इस ढिलाई से न केवल शहर की छवि धूमिल हो रही है बल्कि सड़क हादसों और सार्वजनिक सुरक्षा के खतरे भी बढ़ रहे हैं।
विभागीय मंत्री विपुल गोयल से अपेक्षा है कि वे इस मामले में व्यक्तिगत संज्ञान लें और जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। तभी पंचकूला की सड़कों को आवारा पशुओं से मुक्त कर शहर की व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकेगा।







इसी मामले पर 31 जुलाई को नगर निगम पंचकूला द्वारा जारी की किया गया मीडिया के लिए प्रेस रिलीज भी पढ़ना जरूरी है ।
31 अगस्त तक आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए चलेगा विशेष अभियान-आरके सिंह
पंचकूला। आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर निगम पंचकूला ने विशेष अभियान शुरु किया है, जोकि 31 अगस्त तक चलेगा। मुख्यमंत्री हरियाणा के अतिरिक्त प्रधान सचिव द्वारा एक बैठक के दौरान निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें यह निर्णय लिया गया है कि हरियाणा को आवारा पशु-मुक्त राज्य घोषित करने के उद्देश्य से 1 अगस्त 2025 से 31 अगस्त 2025 तक राज्य के सभी शहरी स्थानीय निकायों में एक महीने का गहन अभियान चलाया जाए। पिछले 15 दिन में नगर निगम 57 गायों को पकड़कर 1 लाख 75 हजार रुपये जुर्माना वसूल चुका है।
पंचकूला नगर निगम आयुक्त आरके सिंह ने बताया कि आवारा पशुओं की पहचान और स्थानांतरण के अंतर्गत सड़कों, पार्कों, बाजारों, धार्मिक स्थलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों से आवारा पशुओं की पहचान, उन्हें पकड़ने और हटाने के लिए विशेष टीमें तैनात की गई। आवश्यकतानुसार स्थानीय पुलिस, पशु पकड़ने वालों और स्वयंसेवकों के साथ सहयोग सुनिश्चित किया जा रही। की गई कार्रवाई के जियो-टैग किए गए फोटोग्राफिक साक्ष्य रिकार्ड के लिए रखे जा रहे हैं। पशुपालकों को चेतावनी है कि वे अपने पशुओं को खुला न घूमने दें। उल्लंघन की स्थिति में मुख्यमंत्री के आदेशानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें चालान, ज़ब्त और जुर्माना वसूलना शामिल है। पकड़ में आए सभी आवारा पशुओं के कान में टैग लगाया जाएगा और पशुपालन विभाग के समन्वय से उनका उचित दस्तावेजीकरण किया जाएगा। आरके सिंह ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहरी स्थानीय निकाय स्तर पर एक केंद्रीय रजिस्टर बनाए, जिसमें सुरक्षित पुनर्वास और आश्रय का विवरण हो। आवारा पशुओं का सुरक्षित परिवहन और पहचानी गई और सत्यापित गौशालाओं या आश्रयों में पुनर्वास सुनिश्चित करें। जहां भी लागू हो, गौशाला प्रबंधन और जिला पशु कल्याण समिति के साथ समन्वय किया जाना चाहिए, जागरूकता और जन समर्थन जुटाने के लिए स्थानीय मीडिया, लाउडस्पीकर, होर्डिंग और सोशल मीडिया का उपयोग करें। संदेश फैलाने और लावारिस पशुओं की पहचान करने में निवासी कल्याण संघों, गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक नेताओं को शामिल करें। इस अभियान में नगर निगम के लिए अतिरिक्त नगर आयुक्त/उप नगर आयुक्त, नगर परिषद के लिए कार्यकारी अधिकारी और नगर समिति के सचिव दैनिक प्रगति की निगरानी और सटीक डेटा रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे।
इस आदेश के बाद लोगों ने उम्मीद जताई थी कि पंचकूला की सड़कों से आवारा पशु कुछ ही दिन में है जाएंगे पर 10 दिन बीतने के बाद भी हालत जस के 10 दिखाई देने से लोगों को ऐसा लगता है कि आदेश सिर्फ कागजों में जारी हुए थे जमीनी हकीकत दूर करने के लिए नहीं । यह भी हो सकता है कि कागजों में तो आवारा पशु सड़कों से हटाए जा रहे हो पर हकीकत में जब अधिकारी अपने वातानुकूलित कमरों से सड़कों पर उतर कर देखेंगे तो उन्हें जमीनी हकीकत पता चल सकती है कि जमीनी सच्चाई क्या है ।
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