कैसे मिलता है किसी देश को IMF से कर्ज ? IMF ने पाक को 20,000 करोड़ रुपए की सहायता मंजूर की
वाशिंगटन/इस्लामाबाद।
हम और आप सभी अपनी किसी न किसी जरूरत के लिए कर्ज लेते हैं कभी यह कर्ज पर्सनल लेवल पर होता है तो कभी बैंक से या फिर किसी और माध्यम से कर्ज लिया जाता है । पर आपको जानकर हैरानी होगी कि देश भी कर्ज लेते हैं और देश के कर्ज लेने के प्रक्रिया भी बिल्कुल उसी तरीके से होती है जैसे हम और आप कर्ज लेते हैं । जैसे आपको कर लेने के लिए क्रेडिट की जरूरत होती है वैसे ही किसी भी देश को कर्ज लेने के लिए क्रेडिट की जरूरत होती है । कई बार खराब क्रेडिट वालों को भी लोन मिलता है तो उसी तरीके से खराब क्रेडिट वाले देश को भी लोन मिल जाता है । भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच पाकिस्तान को आईएमएफ से करोड़ों रुपए का कर्ज मिल गया है जिसको लेकर भारत ने आपत्ति जताई है
रितेश महेश्वरी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए 2.3 अरब डॉलर (करीब 20 हजार करोड़ रुपए) की वित्तीय सहायता मंजूर की है। यह सहायता दो अलग-अलग पैकेजों के रूप में दी जाएगी। इनमें से एक अरब डॉलर (8500 करोड़ रुपए) की राशि एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत तत्काल जारी की जाएगी, जबकि शेष 1.3 अरब डॉलर (11 हजार करोड़ रुपए) आगामी 28 महीनों में किस्तों के रूप में दिया जाएगा।
कोटे के आधार पर होता है IMF में प्रभाव
IMF में कुल 191 सदस्य देश हैं, जिनमें हर देश को वोटिंग अधिकार मिलता है, लेकिन इन अधिकारों का निर्धारण केवल सदस्यता पर नहीं बल्कि देश के ‘कोटे’ पर आधारित होता है। कोटा किसी देश की आर्थिक स्थिति—जैसे उसकी GDP, विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापारिक गतिविधियां और आर्थिक स्थिरता—के आधार पर तय किया जाता है। अमेरिका का कोटा सबसे अधिक 16.5% है, जिससे उसके वोट को सबसे अधिक महत्व मिलता है। वहीं भारत की वोटिंग शक्ति लगभग 2.75% और पाकिस्तान की मात्र 0.43% है।
वोटिंग संरचना में SDR की भूमिका
IMF में दो तरह के वोटिंग अधिकार होते हैं:
- बेसिक वोट्स – सभी देशों को समान रूप से 250 वोट मिलते हैं।
- कोटा-आधारित वोट्स – यह वोट देश के कोटे के अनुसार मिलते हैं, जो कि स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) पर आधारित होते हैं।
SDR IMF की विशेष अंतरराष्ट्रीय करेंसी यूनिट है, जिसकी कीमत पाँच प्रमुख मुद्राओं—अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड—के औसत पर आधारित होती है।
भारत ने वोटिंग से बनाई दूरी
भारत ने IMF की इस सहायता के खिलाफ वोटिंग नहीं की, लेकिन अपनी आपत्ति स्पष्ट रूप से दर्ज कराई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8 मई को बयान दिया था कि पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान को दी गई IMF की मदद से कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ है। भारत ने यह भी कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को बार-बार आर्थिक सहायता देना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संकेत देता है।
हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों के समर्थन से पाकिस्तान को यह फंड मिल गया, क्योंकि IMF में किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए 85% वोटिंग समर्थन की आवश्यकता होती है, और अमेरिका का समर्थन अक्सर निर्णायक होता है।
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