कहां से आता है आईएमएफ के पास इतना पैसा जो देता है अरबों रुपए का कर्ज़ ?
पाकिस्तान को IMF से फिर मिला कर्ज, जानिए कहां से आता है IMF के पास इतना पैसा
नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी कूटनीतिक तनाव के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का नया कर्ज देने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद एक बार फिर IMF की कार्यप्रणाली और उसके संसाधनों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। आखिर IMF इतना पैसा कहां से लाता है, जिससे वह दुनियाभर के संकटग्रस्त देशों को आर्थिक सहायता दे पाता है?
IMF: एक वैश्विक आर्थिक संस्था
IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एक वैश्विक संस्था है, जिसके वर्तमान में 191 सदस्य देश हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करना, विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक मौद्रिक सहयोग को मजबूत करना है। यह संगठन उन देशों की आर्थिक नीतियों का समर्थन करता है जो वित्तीय अनुशासन और सतत विकास की दिशा में काम करते हैं।
IMF के पास पैसा कहां से आता है?
IMF के फंड का प्रमुख स्रोत इसके सदस्य देशों से मिलने वाला “कोटा” है। यह कोटा प्रत्येक देश की आर्थिक क्षमता, जीडीपी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर आधारित होता है। सदस्यता लेते समय देश को यह कोटा राशि IMF को जमा करनी होती है। इसी कोष से IMF अपने अधिकांश ऋण प्रदान करता है।
इसके अलावा IMF जरूरत पड़ने पर अमेरिका, जापान, जर्मनी जैसे विकसित देशों से भी कर्ज लेता है। इसे New Arrangements to Borrow (NAB) कहा जाता है। वहीं, Bilateral Borrowing Agreements (BBA) के तहत वह कुछ देशों से सीधा दोतरफा ऋण समझौता भी करता है।
कैसे करता है IMF काम?
IMF न केवल कर्ज देता है, बल्कि सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था की निगरानी भी करता है। वह हर साल इन देशों की आर्थिक समीक्षा करता है और जरूरी सुधारों के लिए सुझाव देता है। आर्थिक संकट में फंसे देशों को IMF मुख्यतः तीन तरह की सहायता योजनाएं प्रदान करता है:
- Rapid Financing Instrument (RFI)
- Extended Fund Facility (EFF)
- Stand-by Arrangement (SBA)
इनके माध्यम से वह आर्थिक असंतुलन को दूर करने के लिए त्वरित और दीर्घकालिक सहायता प्रदान करता है।
कर्ज के साथ शर्तें भी
IMF के कर्ज की एक बड़ी विशेषता यह है कि यह शर्तों के साथ आता है। अक्सर देशों को कर सुधार, सब्सिडी में कटौती, सरकारी खर्चों में कटौती जैसी सख्त आर्थिक नीतियों को अपनाना पड़ता है। इन शर्तों का उद्देश्य होता है देश को आत्मनिर्भर बनाना, लेकिन इससे तत्कालिक सामाजिक-राजनीतिक असंतोष भी उत्पन्न हो सकता है।
प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी
IMF केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है। यह सदस्य देशों के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करता है ताकि वे टैक्स सुधार, बैंकिंग प्रणाली, आंकड़ा संग्रह और वित्तीय निगरानी में सुधार ला सकें। IMF, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि सदस्य देश अपनी नीतियों को अधिक प्रभावी तरीके से लागू कर सकें।
कौन हैं सबसे बड़े कर्जदार?
IMF से ऋण लेने वाले प्रमुख देशों में अर्जेंटीना, यूक्रेन, मिस्र, पाकिस्तान, केन्या और बांग्लादेश शामिल हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अर्जेंटीना पर IMF का सबसे अधिक $40.9 बिलियन का कर्ज है। पाकिस्तान करीब $8.3 बिलियन के ऋण के साथ चौथे स्थान पर है। भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान का पुनः IMF की ओर रुख करना क्षेत्रीय राजनीति में नई हलचल ला सकता है।
IMF वैश्विक आर्थिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि इसका ऋण संकटग्रस्त देशों के लिए राहत लेकर आता है, लेकिन इसकी शर्तें अक्सर कड़ी होती हैं। पाकिस्तान को मिला ताजा कर्ज इस बात का प्रमाण है कि IMF वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों पर प्रभाव रखता है — और भारत जैसे देशों की प्रतिक्रियाएं भी इसमें अहम मायने रखती हैं।
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