ट्रंप की इंडोनेशिया डील से क्या भारत लेगा सबक ?
अमेरिका की टैरिफ नीति से भारत और अमेरिका के बीच बढ़ा व्यापारिक तनाव का खतरा
रीतेश माहेश्वरी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी आक्रामक टैरिफ नीति का परिचय देते हुए इंडोनेशिया के साथ एकतरफा व्यापार समझौता किया है। इस समझौते के तहत अमेरिका इंडोनेशियाई उत्पादों पर 19% आयात शुल्क लगाएगा, जबकि अमेरिकी सामानों को इंडोनेशियाई बाजार में बिना किसी टैक्स के प्रवेश मिलेगा। यह डील व्हाइट हाउस में ट्रंप द्वारा पत्रकारों से बातचीत के दौरान सार्वजनिक की गई।
ट्रंप ने साफ कहा, “इंडोनेशिया अब हमें अपनी पूरी बाजार में टैक्स फ्री एक्सेस देगा, जबकि हम उनके उत्पादों पर टैक्स वसूलेंगे।” यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका ने कुछ देशों को 1 अगस्त 2025 से भारी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी—इंडोनेशिया भी उनमें शामिल था।
इस नई व्यवस्था के तहत इंडोनेशिया अमेरिका से 15 अरब डॉलर का ऊर्जा संबंधित सामान, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 50 बोइंग विमान खरीदने के लिए तैयार हो गया है। साथ ही, ट्रांजिट देशों के जरिए टैरिफ से बचने की संभावनाओं पर भी रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।
यह समझौता इस बात का संकेत है कि ट्रंप की धमकी भरी रणनीति काम कर रही है। अब सवाल उठता है कि भारत इस बदलते व्यापारिक परिदृश्य में कैसे प्रतिक्रिया देगा?
भारत के लिए चेतावनी?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही कई मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर कृषि, डेयरी और डेटा लोकलाइजेशन जैसे क्षेत्रों में। ट्रंप पहले भी भारत पर यह आरोप लगा चुके हैं कि वह अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाकर अनुचित लाभ उठा रहा है।
हालात को देखते हुए भारत सरकार ने भी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय टीम वाशिंगटन पहुंच चुकी है, जो प्रस्तावित व्यापार समझौते पर अमेरिकी अधिकारियों से अंतिम दौर की बातचीत कर रही है। बताया जा रहा है कि यह टीम डेयरी और कृषि क्षेत्र की शर्तों को लेकर समाधान निकालने में जुटी है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाल में यह संकेत दिया कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें तेज़ हो चुकी हैं।
इंडोनेशिया के साथ अमेरिका की यह डील भारत के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि ट्रंप की व्यापार नीति में पारंपरिक कूटनीति की जगह दबाव और शर्तों ने ले ली है। यदि भारत समय रहते ठोस रणनीति नहीं बनाता, तो 1 अगस्त के बाद भारतीय उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा वास्तविक रूप ले सकता है। अब ज़रूरत है सतर्कता और चतुर व्यापारिक कूटनीति की, ताकि भारत अपने हितों की रक्षा कर सके और वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखे।
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