पंचकूला के कोचिंग संस्थान मौत के मुहाने पर, जिम्मेदारों ने आंखों पर बांधी पट्टी
जान हथेली पर रखकर कोचिंग जा रहे छात्र
पंचकूला की कोचिंग संस्थानों के लिए चेतावनी भरी खबर
पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
गर्मी की छुट्टियां हो चुकी हैं और ऐसे में हर अभिभावक अपने बच्चों को कुछ नया सीखाने के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट भेज रहे है, ताकि बच्चे गर्मी की छुट्टियों में कुछ नया सीख सकें। पर अभिभावकों को यह नहीं पता कि वे नया सीखाने के चक्कर में अपने ही आंख के तारों को मौत के मुंह में भेज रहे हैं। दरअसल, बात हो रही है पंचकूला के कोचिंग संस्थानों की। पंचकूला में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 200 से कुछ ज्यादा कोचिंग संस्थान हैं। पर इनमें से ज्यादातर के पास अग्निशमन विभाग से जारी की जाने वाली फायर सेफ्टी वाली NOC नहीं है, और फिर भी ये सभी संस्थान धड़ल्ले से चल रहे हैं। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो उसका जवाब किसी के पास नहीं होगा। पिछले 10 दिनों के अंदर ही पंचकूला शहर में दो आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि इन घटनाओं में किसी प्रकार की जान का नुकसान नहीं हुआ, पर भविष्य में आग नहीं लगेगी और अगर आग लगेगी तो जान का नुकसान नहीं होगा—इस बात की गारंटी कौन देगा।
200 से अधिक कोचिंग संस्थानों में से अधिकांश असुरक्षित
एक अनुमान के मुताबिक पंचकूला के सेक्टर 14, 15, 16 और 20 सहित अन्य क्षेत्रों में करीब 200 से ज्यादा छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर संस्थान बिना किसी वैध अनुमति, अग्निशमन सुरक्षा या आपातकालीन निकास व्यवस्था के संचालित हो रहे हैं।



एक ही प्रवेश और निकास द्वार, हादसे की खुली दावत
अधिकतर कोचिंग सेंटर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की ऊपरी मंजिलों पर स्थित हैं, जहां केवल एक ही सीढ़ी से ऊपर-नीचे आने-जाने की व्यवस्था है। आपात स्थिति में बच्चों के साथ-साथ किसी के लिए भी बाहर निकलने का कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं है। पिछली घटनाएं इस खामी की गंभीरता को दर्शा चुकी हैं।
बीते साल कोचिंग संस्थान में लगी थी आग, पर सबक आज तक नहीं
पिछले वर्ष सेक्टर 16 के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग के दौरान कई छात्र फंस गए थे। फायर ब्रिगेड को खिड़कियों के बाहर से सीढ़ियां लगाकर बच्चों को बचाना पड़ा था क्योंकि संस्थान के अंदर कोई वैकल्पिक निकास मार्ग नहीं था। इस घटना के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने किसी प्रकार का कोई सबक नहीं लिया । हाल ही में इंडस्ट्रियल एरिया में भी दो फैक्ट्रियों में आग लग चुकी है, जिससे गर्मियों में बढ़ते खतरे की पुष्टि होती है।




जिम्मेदारों ने बांधी आंखों पर पट्टी
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि वर्षों से इन हालात से वाकिफ हैं, फिर भी न तो कोई निरीक्षण होता है और न ही लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता दिखाई देती है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिम्मेदार संस्थाओं ने आंखें मूंद रखी हैं और किसी बड़ी दुर्घटना के इंतजार में हैं।
क्या कहते हैं सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधि
अनिल थापर (सामाजिक कार्यकर्ता): “बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। फायर सेफ्टी और बिल्डिंग कोड का उल्लंघन सामान्य बात हो गई है। प्रशासन कब जागेगा?”
उमेश सूद (बीजेपी उपाध्यक्ष, पंचकूला): “यह बड़ा ही गंभीर विषय है और हम जल्द ही नगर निगम और अग्निशमन विभाग से संयुक्त जांच की मांग करेंगे।”
चंद्र मोहन (विधायक, पंचकूला): “अगर कोई संस्थान नियमों के विरुद्ध चल रहा है, तो उसकी जवाबदेही तय होगी।”
अभिभावकों के लिए चेतावनी है यह खबर
अगर आपका भी बच्चा किसी कोचिंग संस्थान में पढ़ रहा है, तो यह आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि संस्थान में एडमिशन लेने से पहले अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में जानकारी जरूर करें। बच्चों का एडमिशन करते वक्त यह जरूर देखें कि वहां पर आने और जाने के रास्ते अलग-अलग हैं या नहीं। संभावित दुर्घटना की स्थिति में संस्थान के पास बचाव के कौन-कौन से तरीके हैं।
और यह किसी एक संस्थान की बात नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की खामियों की कहानी है। हर अभिभावक को यह जानने और पूछने का अधिकार है कि जिस जगह वे अपने बच्चों को भेज रहे हैं, वहां सुरक्षा का बुनियादी ढांचा मौजूद है या नहीं। क्योंकि शिक्षा का कोई मूल्य नहीं, अगर उसकी कीमत किसी की जान से चुकानी पड़े।

रितेश महेश्वरी 8054004431 पंचकूला की किसी भी खबर के लिए ईसी नंबर पर संपर्क किया जा सकता है
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