कविता : रिश्तो की अहमियत…!
रिश्ते इंसान को एक-दूसरे से जोड़कर रखते हैं,
ईंट की तरह ही सुख-दुख में साथ खड़े रहते है।
गढ़ को बनाने में प्रेमरूपी सीमेंट आता हैं काम,
तब जाकर परिवार का होता हैं दुनिया में नाम।
अपनापन, स्नेह व एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारी,
यहां पर ही रिश्तो में काम में आती है वफादारी।
रिश्ते इंसान को एक-दूसरे से जोड़कर रखते हैं,
ईंट की तरह ही सुख-दुख में साथ खड़े रहते है।
माता-पिता बच्चों के प्रति निस्वार्थ रखते हैं प्रेम,
इस भाईचारे में नहीं होता किसी प्रकार का गेम।
भाई-बहन एक-दूजे के लिए हमेशा रहते हैं खड़े,
पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास,समर्पण चाहे लड़े।
रिश्ते इंसान को एक-दूसरे से जोड़कर रखते हैं,
ईंट की तरह ही सुख-दुख में साथ खड़े रहते है।
बस रिश्ते ‘मैं’ एवं ‘मेरा’ के इर्द-गिर्द न घूमने लगे,
ऐसा ही रहें तो स्नेह के प्यालों में ही झूमने लगे।
भावनात्मक होकर उन पत्थरों को भी चिरने लगे,
ज़ब इन बंधनों को जोड़ने वाले तत्व खिलने लगे!
समझती है रिश्तो की अहमियत साफ़ हो नीयत।

संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर-452011 (मध्यप्रदेश)
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