अवैध बोर्ड : आम आदमी पर सख्त पर नेताजी पर नर्म ,जन्मदिन बीत गया, पर बोर्ड अब तक नहीं उतरे !
नगर निगम कमिश्नर के दावों पर भी अधिकारी लगा रहे पलीता !
अवैध बोर्ड पर आम आदमी पार्टी को नोटिस देने वाला निगम सत्ताधारी दल के नेताओं को क्या दे पाएगा नोटिस ?
पंचकूला नगर निगम पंचकूला में अवैध विज्ञापन बोर्डों को लेकर दोहरे मापदंडों की चर्चा तेज हो गई है। जहां एक ओर नगर निगम कमिश्नर व्यक्तिगत तौर पर यह दावा कर चुकी हैं कि शहर में अवैध रूप से लगे किसी भी बोर्ड को तुरंत हटवा दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर एक राजनीतिक नेता के जन्मदिन पर लगे बोर्ड कई दिन बीतने के बाद भी सड़कों पर वैसे ही नजर आ रहे हैं।
नेताजी का जन्मदिन गया, बोर्ड अब भी लगे हैं
पिछले सप्ताह पंचकूला क्षेत्र में एक वरिष्ठ राजनेता के जन्मदिन पर उनके समर्थकों द्वारा बड़े-बड़े बधाई संदेश वाले बोर्ड लगाए गए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि यह बोर्ड स्वयं नेताजी ने लगवाए या उनके समर्थकों की ओर से लगाए गए, परंतु अब एक सप्ताह बीतने के बाद भी यह पोस्टर और होर्डिंग्स नगर निगम की “सख्ती” को चुनौती देते नजर आ रहे हैं।



दल के ही भीतर से उठी आवाजें
मजेदार बात यह है कि नेताजी की ही पार्टी के एक सदस्य, जो उनसे वैचारिक रूप से दूरी रखते हैं, ने तंज कसते हुए कहा – “नेताजी की उम्र तो जैसे हर साल बढ़ती ही जा रही है, पर काम अगर जनता के लिए किए होते, तो आज भी कुर्सी पर होते। अब बस चेहरा दिखाने के लिए पोस्टर ही एकमात्र सहारा हैं।”
कमिश्नर के दावे पर सवाल
नगर निगम कमिश्नर के इस दावे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि “मैं जब भी सड़कों पर निकलती हूँ, अवैध बोर्ड दिखाई देने पर तुरंत हटवाती हूँ।” लेकिन यह सख्ती शायद सिर्फ आम नागरिकों तक सीमित रह गई है, क्योंकि नेताजी के बोर्ड आज भी शहरी सौंदर्य को प्रभावित कर रहे हैं।
अधिकारियों की चुप्पी सवालों के घेरे में
2 जून को स्थानीय अखबार के संवाददाता ने नगर निगम के DMC अपूर्व चौधरी को इन अवैध बोर्डों की मौखिक जानकारी दी थी। उस समय उन्होंने कहा था कि “आज ही बोर्ड हटवा दिए जाएंगे।” लेकिन सूचना देने के 24 घंटे बाद भी बोर्ड उसी स्थिति में लगे हुए हैं, जो इस बात की पुष्टि करता है कि अधिकारी स्वयं ही निगम के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं।
क्या सत्ताधारी नेताओं को भी मिलेगा नोटिस?
प्रश्न यह उठता है कि जब आम नागरिक के अवैध बोर्ड लगाने पर नगर निगम नोटिस भेजता है, तो क्या वही नियम सत्ताधारी नेताओं पर भी लागू होंगे? क्या निगम अधिकारी में इतनी हिम्मत है कि वे इन नेताओं को भी नोटिस भेज सकें । भले ही वसूली हो या न हो, पर कम से कम नियमों का सम्मान तो हो?
नगर निगम की निष्पक्षता पर उठते सवाल प्रशासन की विश्वसनीयता को कमजोर कर रहे हैं। यदि वाकई कानून सभी के लिए समान है, तो इसका पालन हर नागरिक और नेता पर समान रूप से होना चाहिए। नहीं तो यह धारणा मजबूत होती रहेगी कि सत्ता के आगे प्रशासन नतमस्तक है।
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