जीरकपुर के ग्रीन लोटस उत्सव प्रोजेक्ट पर बड़ा आरोप : अवैध निर्माण, करोड़ों के कर्ज
मालिकों के विदेश भागने की आशंका , पासपोर्ट हो जब्त : चौधरी
ज़िरकपुर
पंजाब का मोहाली जिला चंडीगढ़ से लगा हुआ है और इसकी वजह से यहां पर बिल्डरों के अनेक प्रोजेक्ट चलते रहते हैं और चल भी रहे हैं । मोहाली जिले में जीरकपुर को बिल्डरों का हब कहा जाता है और इसी हब में एक बिल्डर का प्रोजेक्ट ग्रीन लोटस उत्सव इस समय विवादों के घेरे में आ गया है । इसको लेकर जीरकपुर के समाजसेवी और व्यवसाय सुखदेव चौधरी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है उनका कहना है कि ग्रीन लोटस उत्सव अवैध जमीन पर बनाया गया है । वीडियो में चौधरी ग्रीन लेटर उत्सव कंपनी के मालिकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए दिखाई पड़ते हैं । उनका तो यहां तक कहना है कि इस कंपनी के मालिकों पर करोड़ों का कर्ज है और यह कभी भी भारत छोड़कर विदेश भाग सकते हैं इसलिए उनके पासपोर्ट भी जप्त कर लिए जाए ।
क्या है वायरल हो रहे वीडियो में
ज़िरकपुर के बहुचर्चित ग्रीन लोटस उत्सव हाउसिंग प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। समाजसेवी सुखदेव चौधरी द्वारा इंस्टाग्राम पर जारी एक वीडियो के बाद इस प्रोजेक्ट पर कानूनी और वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। चौधरी ने प्रोजेक्ट को पूरी तरह अवैध बताते हुए बिल्डर और उससे जुड़े लोगों पर करोड़ों रुपये के कर्ज, फर्जी जमीन ट्रांसफर और निवेशकों को ठगने का आरोप लगाया है।
सुखदेव चौधरी के अनुसार, ग्रीन लोटस उत्सव उस जमीन पर विकसित किया गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत ट्रांसफर या विक्रय नहीं किया जा सकता था। वर्ष 2016 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि संबंधित भूमि पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई बिना एनओसी के अमान्य है। बावजूद इसके, संबंधित अफसरों की मिलीभगत से ज़मीन का ट्रांसफर हुआ और प्रोजेक्ट खड़ा कर दिया गया।
चौधरी का आरोप है कि यह ज़मीन पीएससीएल से जुड़ी थी, जिसे जेल में बंद व्यक्ति के नाम पर एक्स पार्टी करार देकर ट्रांसफर किया गया—जो कानूनन अवैध है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि इस भूमि पर पहले से सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे भी लागू था, लेकिन फिर भी निर्माण कार्य जारी रहा।




उन्होंने दावा किया कि बिल्डर द्वारा पंचकूला में भी कई संपत्तियां खरीदी गई हैं, जिन पर भारी कर्ज बकाया है। यहां तक कि कई प्रॉपर्टी पर कोर्ट में मुकदमे चल रहे हैं और कुछ पर स्टे भी है। सुखदेव चौधरी ने आरोप लगाया कि फ्लैट बेचकर एकत्र किया गया पैसा एस्क्रो अकाउंट की जगह विदेश भेजा जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि बिल्डर और उसके सहयोगियों—अमित मित्रा और संजीव कुमार—के पासपोर्ट तत्काल जब्त किए जाएं ताकि वे देश छोड़कर फरार न हो सकें।
प्रोजेक्ट के फ्लैटों की वैधता पर सवाल उठाते हुए चौधरी ने बताया कि कुल 550 फ्लैटों में से लगभग 80% बिक चुके हैं, लेकिन पूरा प्रोजेक्ट अवैध ज़मीन पर बना है। उन्होंने दावा किया कि कुछ टावर तो सीधे पीएससीएल की ज़मीन पर खड़े किए गए हैं और निर्माण से पहले जरूरी साझेदारों की सहमति भी नहीं ली गई।
सबसे गंभीर बात यह है कि चौधरी ने स्थानीय प्रशासन पर भी आंख मूंदने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिल्डर को ‘कंप्लीशन सर्टिफिकेट’ देने की तैयारी हो रही है, जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट के स्टे आदेश के तहत आता है। चौधरी ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने आंखें मूंदकर कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया, तो वे संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करेंगे।
उन्होंने कहा कि वह पूरे मामले की शिकायत विजिलेंस, सीबीआई और संबंधित राज्य एजेंसियों से करेंगे, ताकि निवेशकों को उनके पैसे और अधिकारों से वंचित होने से बचाया जा सके।
चौधरी के आरोपों पर बिल्डर की प्रतिक्रिया
वही जब सुखदेव चौधरी के द्वारा लगाए गए आरोपों पर ग्रीन लोटस उत्सव प्रोजेक्ट के बिल्डर अमित मित्तल के नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया हमारी तरफ से उनके आधिकारिक नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज डाल दिया गया है वह अपनी प्रतिक्रिया देना चाहे तो दे सकते हैं ।
तो वही प्रोजेक्ट के जनरल मैनेजर संदीप प्रोथी से उनकेनंबर पर बात की गई तो उनका कहना था कि हमारे पास प्रोजेक्ट के संबंध में सभी वैलिड डॉक्युमेंट मौजूद हैं कोई भी आकर कभी भी देख सकता है । हालांकि जब उनसे संबंधित डॉक्यूमेंट को व्हाट्सएप पर भेजने की बात कही गई तो वह व्हाट्सएप पर किसी भी डॉक्यूमेंट को भेजने को टाल गए ।
अब देखना यह है कि ज़िरकपुर प्रशासन इस पूरे प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या इस प्रोजेक्ट पर कानूनी शिकंजा कसा जाता है। निवेशकों और स्थानीय नागरिकों की नजरें अब सरकार की कार्रवाई पर टिकी हैं।
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